Monday 27 August 2018

श्री बाल-कृष्ण की लीला

*🌹 श्री बाल-कृष्ण की लीला 🌹*

श्री बाल-कृष्ण की लीला


शुरू करने से पहले दोस्तों आपको बतादे की यदि आपको यह कहानी अच्छी लगती है तो कृपया इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर कीजिये। तो चलिए शुरू करते है। 
एक बार कान्हा जी एक गोपी के घर में चोरी से गए और कमरे के बीचोंबीच एक मटकी में माखन दिखाई दिया।
कान्हा जी ने कहा अरे वाह ! आज तो इस गोपी ने मेरे माखन का पुरा प्रबंध किया है। लेकिन कान्हा जी ने सोचा कि कहीं मुझे पकडने के लिए कोई जाल न बिछाया हो।🌺कान्हा जी ने शंका शील होकर चारों तरफ देखा , कहीं भी कोई नहीं था। कोई आवाज़ भी नहीं थी।तब कान्हा जी बेफिकर होकर मटकी के पास आए और आराम से बैठकर माखन खाने लगे।
तभी दुसरे कमरे से गोपी आई और कान्हा के सामने खडी हो गई।

कान्हा जी ने गोपी को देखकर कहा :- आओ गोपी आओ। माखन खावोगी ?

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🌺अब गोपी का मुख देखने जैसा हो गया , गोपी आंखे निकालकर बोली :- मेरे ही घर में आकर मुझे ही खाने का न्योता दे रहा है ? तब कान्हा जी ने चारो तरफ देखा और फिर बडी मासूमियत से बोले :- ओ हो ! तो यह तेरा घर है। मैं तो माखन की खुश्बू से यहां आ गया। मुझे तो ज्ञात ही न रहा । ऐसा ही लगा कि यह मेरा घर है। एक बात बता गोपी ! तु रोज कथा में जाती है फिर भी तेरा मेरा क्युं करती है ?🌺
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अब गोपी थोडे क्रोध से बोली :- अरे वाह , एक तो मेरे घर में चोरी करता है और मुझे शास्त्रों का ज्ञान दे रहा है ? कान्हा जी ने कहा देख गोपी ! मैं तो अपना घर समझकर माखन की खुश्बू से यहां आ गया था। तो यह तो चोरी कैसे हुई ? अभी तो मैं माखन खाना शुरू ही कर रहा था कि इतने में तु आ गई।🌺गोपी बोली कि अगर तु माखन नहीं खा रहा था तो तेरे हाथ में माखन कैसे लग गया? कान्हा गोपी को धमकाते हुए बोले :- अरे गोपी तेरी मटकी पर चींटी थी। तु तो घर भी साफ नहीं रखती। गोपी बोली कि कहां है चींटी । तो कान्हा जी ने कहा वो तो मैने निकाल दी तो अब कैसे दिखेगी। तब गोपी बोली कि तेरे गालों पर और होठों पर माखन कैसे लग गया ?






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🌺तब कान्हा जी बड़ी मासूमियत से बोले :- वो तो मेरे होठों पर मक्खी बैठी थी तो उसे उडाने में माखन होठों पर लग गया और मेरे बालों की लट गालों पर आ गई तो वहां भी माखन लग गया। गोपी बोली कि देख कान्हा ! मुझे बातो में मत बहका। यह भोलापन किसी और को दिखाना। आज तो तुझे मैने रंगे हाथ चोरी करते हुए पकडा है। आज तो तुझे बांधकर यशोदा मैया से कहुंगी।🌺अब गोपी ने लाला को घर मे खम्भे के साथ डोरी से बाँध दिया है। कन्हैया का श्रीअंग बहुत ही कोमल है। गोपी ने जब डोरी कस कर बाँधी तो लाला की आँख मे आंसू आ गये । गोपी को दया आई। उसने लाला से पूछा- लाला, तुझे कोई तकलीफ होती है क्या?

लाला ने मुख बनाकर और गर्दन हिलाकर बड़ी मासूमियत से कहा- मुझे बहुत दर्द हो रहा है। डोरी जरा ढीली तो करो।🌺तब गोपी ने विचार किया कि लाला का श्रीअंग बहुत ही कोमल है तो लाला को डोरी से कस कर बाँधना ठीक नही। मेरे लाला को दुःख होगा इसलिए गोपी ने डोरी थोड़ी ढीली करी। लेकिन फिर पडोस की सखियों को खबर देने गई कि मैने लाला को बाँधा है।🌺

वैष्णवों ! यहाँ पर हम सभी के लिए एक सिख है। तुम लाला को प्रेम में बाँधो , परंतु किसी के सामने उजागर मत करो ।🌹
🌹तुम खूब भक्ति करो परंतु उसे प्रकाशित मत करो। भक्ति प्रकाशित हो जायेगी तो प्रभु चले जायेंगे। भक्ति का प्रकाश होने से भक्ति बढ़ती नही, भक्ति मे आनंद आता नही।🌹 गोपी बाहर जाने के लिए जरा मुडी ही थी कि तब बालकृष्ण सूक्ष्म शरीर करके डोरी से बाहर निकल गये और गोपी को अंगूठा दिखाकर कहा कि अरे गोपी तुझे बाँधना ही कहा आता है।🌺कान्हा जी को छुटा हुआ देख गोपी अचम्भित होती है , फिर गोपी कहती है - तो मुझे बता, किस तरह से बाँधना चाहिए ?

गोपी को तो लाला के साथ खेल खेलना था। तब लाला गोपी को बाँधते हैं...और ऐसे बांधते है जैसे यह बंधन कभी ना छूटेगा।
जो योगीजन मन से...श्रीकृष्ण का स्पर्श करते हैं तो समाधि लग जाती है .....।यहाँ तो गोपी को प्रत्यक्ष श्रीकृष्ण का स्पर्श हुआ है। भाव से गोपी प्रेम समाधि में चली जाती है।🌺अब गोपी लाला के मुख दर्शन मे तल्लीन हो जाती है। और गोपी को ब्रह्म ज्ञान हो जाता है। थोड़ी क्षणों के बाद गोपी प्रेम समाधि से बाहर आती है और अपनी बंधी हुई दशा देखकर गोपी कहती है - लाला अब मुझे भी बांधना आ गया है। अब मेरी डोरी छोड़! मुझे छोड़ ! तब कान्हा जी अंगूठा दिखाते हुए मुंह से चिढ़ाते हुए गोपी के पास बैठ जाते हैं।🌺

गोपी बहुत मनाती है बंधन खोलने के लिए फिर गोपी रोने लगी। गोपी को रोते देखकर कान्हा जी भी रोने लगे। गोपी बोली कि बंधी हुई तो मैं हुं तो तु क्युं रोता है लाला? कान्हा जी बोले कि गोपी मुझे तो सिर्फ बांधना (प्रेम-बंधन) आता है, मुझे छोडना तो आता ही नहीं। इसलिए मैं भी तेरे साथ ही रो रहा हुं।🌺
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हम जीव (मानव) ऐसा प्राणी है, जिसको छोड़ना आता है। चाहे जितना प्रगाढ़ सम्बन्ध क्यों न हो परंतु स्वार्थ सिद्ध होने पर उसको एक क्षण में ही छोड़ देते है।🌹परंतु प्रभु एक बार बाँधने के बाद छोड़ते नही, प्रभु को छोडना आता ही नहीं ....!! सिर्फ प्रेम बंधन में बांधना ही आता है 



*इस कथा को कम से कम दो लोगों को अवश्य सुनाए आप को पुण्य अवश्य मिलेगा। या चार ग्रुप मे प्रेषित करें।*



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🌺आशा है कि आप सभी को इस लीला में अलौकिक आनंद की अनुभूति हुई होगी। 🌺
🌹जय श्री राधे-कृष्ण जी 🌹


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